Thursday, March 23, 2023
HomePrajapati SamajPrajapati - प्रजापति

Prajapati – प्रजापति

प्रजापति जाति एवं उसका इतिहास के पन्नों में उल्लेख

Prajapati शब्द का अर्थ है प्रजा का पति। अर्थात् प्रजा का स्वामी, प्रजा का रक्षक, प्रजा का मालिक आदि। प्रजापति शब्द अति प्रचीन है। यह शब्द प्रजा औ पति दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें प्रजा का अर्थ आम जनता से है तथा पति का समान्य अर्थ उसके राजा, स्वामी या मालिक से लगायाा जाता है।

Who is Prajapati? – प्रजापति कौन है?

Prajapati (प्रजापति) एक राजा है। वेदों में प्रजापति शब्द का प्रयोग राजाओं और देवताओं के लिए किया गया है। प्रजा की रक्षा और पालन करने वाले Prajapati (प्रजापति) है। Prajapati (प्रजापति) शब्द का प्रयोग में वर्तमान में कुम्हार समाज के लिए भी किया जाता है। कुम्हार समाज एक प्राचीन जाति है जो मिट्‌टी का कार्य करती है। जिसके लिए उपाधि केे रूप में Prajapati (प्रजापति) का प्रयोग किया जाता है।

Is Prajapati a Brahmin? – क्या ये ब्राह्ण है?

वैदिक धर्मशास्त्रों में Prajapati (प्रजापति) शब्द brahm (ब्रह्मा) के लिए प्रयुक्त हुआ है। जो सभी जातियाों के रचियता है। देवताओं और राजाओं के सदंर्भ में वे ब्राह्मणों के समकक्ष ही है। प्रजापति जाति जो मिट्‌टी का कार्य करती है वे भी ब्राह्मणों के समकक्ष है। क्योंकि उनके द्वारा बनाये हुए बर्तनों का प्रयोग सभी के द्वारा समान रूप से किया जाता है। प्राचीन समय में कुम्हार Prajapati (प्रजापति) के घर पर सभी पानी पीते थे।

What is Prajapati caste? – प्रजापति जाति क्या है?

Prajapati (प्रजापति) जाति मिट‌टी का कार्य करने वाली है। जो प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तन, खिलौने आदि बनाती आई है। और आज भी इस जाति के द्वारा अपने पैतृक व्यवसाय को किया जाता है। इस जाति को कुम्हार, कुंभकार, कुलाला आदि नामों से भी जाना जाता है। Prajapati (प्रजापति) समाज के ये उपनाम क्षेत्र विशेष में अलग-अलग है।

Who is Prajapati in Rig Veda? ऋग्वेद में प्रजापति कोन है?

ऋग्वेद में प्रजापति शब्द का कई श्लोकों में प्रयोग किया गया है। यह प्रयोग परमपिता और सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा के लिए किया गया है। ब्रह्मा जी के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति थे। जो भगवान शंकर जी के ससुर जी भी थे।

Daksh Prajapati – दक्ष प्रजापति

पौराणिक धर्मशास्त्रों के अनुसार Daksh Prajapati (दक्ष प्रजापति) सृष्टि निर्माता ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। जो कनखल के राजा थे। जिनकी पुत्री सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलाया लेकिन अपनी पुत्री सती व दामाद भगवान शिव को नहीं बुलाया। जब सती को इस यज्ञ की सूचना मिली तो वह बिना बुलाये ही वहाँ पहुंच गई।

जब सती ने वहां पहुंच कर देखा तो उनके लिए वहाँ कोई आसान नहीं था। सती अपना व अपने पति का यह अपमान सहन नहीं कर सकी और उसी यज्ञ की अग्नि में कूद गई। जब भगवान शिव को इस घटना का पता चला तो वे क्रोधित हुए और उन्होंने अपनी जटा से वीर भद्र को उत्पन्न किया। जिन्होंने दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया।

जब सभी देवताओं ने प्रार्थना की तो भगवान शिव ने दक्ष के सिर की जगह बकरे का सिर लगा कर उन्हें जिन्दा कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी स्थान पर दक्ष प्रजापति का मंदिर (prajapati daksha palace) बना। दक्ष एक राजा थे। पुराणों में राजा के लिये प्रजापति उपाधि का प्रयोग किया जाता था।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!